बंद करो
कातिल तेरी नज़रें हैं , यूँ तीर चलाना बंद करो,
मैं रोज़ रोज़ फंस जाता हूँ , तुम जाल बिछाना बंद करो ||
तुम जो चाँद सितारों के संग , यूँ नयन मटक्का करती हो,
तुम जो राहों में बस यूँ ही, ठुमक-ठुमक के चलती हो,
यूँ लचक-लचक के चलती हो,
मुझसे तो अनजान सी रहती, पर बातें सबसे करती हो,
नींद मेरी उड़ जाती है, ख्वाबों में आना बंद करो,
मैं जन्नत से होकर आ बैठा , तुम ज़ुल्फ़ उठाना बंद करो,
मैं रोज़ रोज़ फंस जाता हूँ , तुम जाल बिछाना बंद करो ||
तुम मेरे मधुमय जीवन की, बस एक ही मधुशाला हो,
तुम ही तो इस मदीरालय की, एक सुंदरी बाला हो ,
मैं सब कुछ हार गया हूँ अब, तुम अंतिम एक प्याला हो,
क्या मांगूँ मगरूर खुदा से ??? गर तुम सा एक हाला हो,
मैं आज अभी मर जाऊंगा, जो जाम पिलाना बंद करो,
राहों में मुझको देख कर, जो तुम इठलाना बंद करो,
मैं रोज़ रोज़ फंस जाता हूँ , तुम जाल बिछाना बंद करो ||
एक दिन तो ये होगा ही, तुम दिल में मुझको पाओगी,
मैं सागर हूँ, तुम दरिया हो, तुम मुझ में ही मिल जाओगी,
और कभी जो प्यार में तेरे मैं प्यासा-प्यासा बैठूँगा,
तुम बादल बन छा जाओगी ,
दिल का दरवाजा खोल दिया, अब आना जाना बंद करो,
मैं नोर बहता रहता हूँ, तुम यूँ शर्माना बंद करो,
यूँ तुम भी मुझपे मरती हो, अब तो इतराना बंद करो,
मैं रोज़ रोज़ फंस जाता हूँ , तुम जाल बिछाना बंद करो ||
मट्टी का चूल्हा है घर में, और केरोसीन की डिबिया हैं,
शादी उसकी करवानी हैं, सायानी जो उसकी बिटिया है,
वो किससे जाकर कह दे अब, हालत इतनी बेहाल हुई,
रोज़ उसे डंस लेती हैं , नागिन ये सरकार हुई ,
और जीवन की भी व्यथा गजब है,
मिट्टी का घर बना हैं उसका, और बारिश मुसलाधार हुई,
इन बातों से अब क्या होगा ?? तुम बात बनाना बंद करो,
ये देश मेरा जल जायेगा, तुम आग लगाना बंद करो,
और फिर कोई दामिनी न बन जाये ,सापों को दूध पिलाना बंद करो
ये नेता सारे कातिल हैं, इन्हें वोट गिरना बंद करो ||