बुधवार, 27 मार्च 2013

                लाचार
मैं लाचार भला क्या करूँ ??
उम्र छोटी , सोच मोटी,
पग धरा पे , निगाहें आसमां पे ,
सोचता हूँ , जल्द हो बड़ा कुछ कर चलूँ ,
मैं लाचार भला क्या करूँ ??

कष्ट मैं , रोज़ सबके सहते जा रहा ,
आंखें नहीं, हृदय नोर टब-टबा रहा ,
इस स्वप्नपूर्ति  की आग को मैं यूँ कब तक सहता रहूँ ??
मैं लाचार भला क्या करूँ ??

मैंने वनप्रस्थान से पूर्व , प्रभु राम को हँसते देखा है,
घनश्याम को नाग के फन पर भी नाचते देखा है,
हनुमान को जलधि लांघते भी देखा है ,
पर मैं इंसान भला भगवान अब कैसे बनू ??
मैं लाचार भला क्या करूँ ??
  



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