बुधवार, 27 मार्च 2013

                   महाभारत
जब –जब गरीब के हिस्से को, हिस्सों में बांटा जाता है ,
एक माँ के अंचल से उसका , बच्चा छिना जाता है ,
भरी सभा में , द्रोपदी का चिर हरण हो जाता है ,
और केम्पस न मिलने पर , बच्चा सूली पर चढ़ जाता है ,
तब –तब अभिमानी कुरुक्षेत्र , महाभारत को चिल्लाता है ||

कब तक?? शिखंडी की औट तले, अर्जुन भीष्म का सीना छल्ली कर पायेंगे ??
अहिंसा के नाम पर बापू , चाटे खाते जायेंगे ??
चंद सिक्कों के खातिर , कब तक प्रिंस को गड्ढे में डाला जायेगा ??
चक्रव्यूह में फांस कर , अभिमंयु मारा जायेगा ??
और अभिमानी कुरुक्षेत्र महाभारत को चिल्लाएगा ??

पता नहीं था ?? राम कभी इतने बेबस हो जायेंगे,
जंगलों में भाग –भाग सीते – सीते चिल्लायेंगे ,
अर्जुन के प्राणों के खातिर , कृष्ण कर्ण से प्राण मांगने जायेंगे ,
सोती महिलाओ पर यूँ कब-तक लाठियां बरसाई जाएगी ??
और कुल विनाश के खातिर घर में विभीषण पाला जायेगा ,
तब –तब अभिमानी कुरुक्षेत्र महाभारत को चिल्लाएगा ||

अच्छे खासे नेता खुद को, यूँ कब तक ध्रितराष्ट्र बतलायेंगे ??
बहुत सेहन किया कृष्ण ने , अब संसद में ही शिशुपाल के मस्तक काटे जायेंगे
माता –पिता को छोड़ जगत में , जब तक पत्थरों को पूजा जायेगा ,
एकलव्य की उंगली काट गुरूदाक्षिणा माँगा जायेगा,
और पुत्र मोह के आढ़ तले, गुरु द्रोण को मारा जायेगा,
तब तब अभिमानी कुरुक्षेत्र महाभारत को चिल्लाएगा ||

मैं दुर्योधन की बर्बरता पर , चुप्पी साध नहीं सकता ,
ध्रितराष्ट्र से भरी सरकार पर दया की चादर दाल नहीं सकता ,
दरिद्र प्रजा का अन्न छीन कर , घरों में कुत्ता पाल नहीं सकता ,
राजनीति का दर्पण मैं दिल्ली को दिखलाऊंगा,
संसद को सड़क तक ले कर आऊंगा ,
पर मैं इंसान जलधि लाँघ नहीं सकता ,
सांप के फन पर नाच नहीं सकता ,
मैं अपनी इस बेबसता पर सोचता रह जाता हूँ ,
और कुरुक्षेत्र के भांति बस महाभारत को चिल्लाता हूँ .............
   


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